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जब मैं 14 साइगी थी तो मेरे किराइदार मेरा फेवरेट भाई था और मुझे उससे बात करना अच्छा लगता था.
मेरी मांने मुझे कई बार इसके लिए सचेट किया लेकिन मुझे लगता था कि वो ऐसे ही बोल रही हैं.
मैं जानती हूँ कि मुझे उनकी बात सुननी चाहिये थी. अक्टूबर 2015 का महिना था. दोपहर की समय घर की घंटी बजी थी.
मैं घर पर अकेले थी क्योंकि मम्मी, पापा और बहीन उतर्प्रदेश किसी शादी में गए होए थे.
स्कूर में मेरा टेस्ट था इसलिए मुझे रूपना पढ़ा था. इसके अलवा घर बंद करके ऐसा छोड़ना हमारे इलाके में ठीक भी नहीं था.